गुजरातः आनंदीबेन और शाह की गुटबाज़ी ने डुबोया?
नरेंद्र मोदी की ग़ैरहाज़िरी में
गुजरात में पहली बार एक बड़ा चुनाव ख़त्म हुआ है जिसमें ग्रामीण इलाकों में
भारतीय जनता पार्टी की बुरी तरह हार हुई है.
प्रदेश के भाजपा नेताओं
ने हार की समीक्षा की जिसमें पार्टी में आंतरिक गुटबाज़ी एक अहम पहलू उभर
कर सामने आया. लेकिन पार्टी किन दो गुटों में बंटी है, इस मामले में कोई
खुलकर बोलने को तैयार नहीं है.
लेकिन जहां जीत हुई है, वहां अपने
कार्यकर्ताओं को टिकट दिलाने के लिए मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और भाजपा
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपनी पूरी ताक़त लगाने में जुट गए हैं.
छह
महानगरों में जीत पाने के बावजूद पिछले स्थानीय निकाय चुनावों के मुकाबले
भाजपा की कई सीटें कम हुई हैं और कई दिग्गज नेता भी हार गए हैं. इनमें
राजकोट के पूर्व मेयर अशोक डांगर भी शामिल हैं.
राजकोट में भाजपा कांग्रेस से सिर्फ़ चार सीटों से महानगर का चुनाव जीती.
हार का मुंह देखने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक डांगर ने बीबीसी
को बताया कि उनकी हार के पीछे बाहरी कारण जो भी हो पार्टी के कुछ क़रीबी
लोगों ने उन्हें हराने में काफी कोशिश की. हालांकि उन्होंने नाम लेने से
इनकार कर दिया.
जब नरेंद्र मोदी ने दिल्ली का रुख़ किया तो
मुख्यमंत्री के मसले पर उठे सवाल को अमित शाह को पार्टी का राष्ट्रीय
अध्यक्ष और आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर हल किया गया था.
बावजूद इसके, वास्तविकता ये है कि गुजरात की राजनीति में अमित शाह की आवाज़ को नकारा नहीं जा सकता.
शाह
और पटेल दोनों ही अपना महत्व बनाए रखने की पूरी कोशिश करते हैं, इस कारण
गुजरात चुनावों की हार के पीछे इन दोनों खेमों की आपसी प्रतिद्वंद्विता भी
सामने आई है.
गुजरात भाजपा के महामंत्री शब्दशरण ब्रह्मभट्ट ने बीबीसी
से बातचीत में बताया, "कई जगहों से हमें ऐसी जानकारी मिली है कि पार्टी के
ख़िलाफ़ भाजपा के ही कार्यकर्ताओं ने काम किया था, हार के पीछे यह भी एक
कारण है जिसे हम गंभीरता से ले रहे हैं. जहां भी ऐसी घटना घटी है वहां के
स्थानीय इकाई को हमने ज़िम्मेदार लोगों को निलंबित करने का आदेश दे दिया
है."
लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं रही. जहां पर पार्टी ने चुनाव जीता है, वहां भी दो खेमे शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं.
ऐसी
संभावना दिख रही है कि गुजरात के वडोदरा शहर में मेयर के पद पर मंत्री
सौरभ पटेल के क़रीबी माने जाने वाले भरत डांगर को बिठाया जाएगा.
वहीं पूरे वडोदरा शहर में विवादास्पद होर्डिंग लगे हैं, जिन पर लिखा है
कि 'मेयर ग़रीब घर का होगा तो चलेगा, लेकिन शराबी, जुआरी और भू-माफिया नहीं
चाहिए.'
इसी तरह भाजपा के दोनों गुट आम जनता के बीच एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.
गुजरात
के राज्य क़ानून मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा इस मामले में खुलकर कुछ बोलने
को तैयार नहीं हैं. फिर भी उन्होंने बताया कि जहां भी हार हुई है, कैबिनेट
बैठक में उसको लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई है.
उनका कहना है,
"सिर्फ़ गुटबाजी या अंदरूनी विरोध के कारण यह परिणाम आया हो ऐसा नहीं है,
अभी तक हमें हार का स्वीकार्य कारण नहीं मिला है."
बीबीसी के सौजन्य से