Monuments re classified the circumference of the ban on construction decided according to importance

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स्मारकों का फिर से होगा वर्गीकरण, महत्व के अनुरूप तय होगी निर्माण पर रोक की परिधि



नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार ने संरक्षित स्मारकों का उनकी ऐतिहासिकता के आधार पर फिर से वर्गीकरण का फैसला किया है। इसके लिए इन स्मारकों के आसपास निर्माण का नियमन करने वाली नीति की समीक्षा की जाएगी।

Monuments re classified the circumference of the ban on construction decided according to importance
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के ज्यादातर धरोहरों और स्मारकों का वर्गीकरण ब्रिटिशकाल में ही किया गया है।

संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने खास बातचीत में बताया, 'हम सभी स्मारकों का उनके ऐतिहासिक महत्व के आधार पर दोबारा वर्गीकरण करने की योजना बना रहे हैं। संबंधित अधिकारियों से कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया है।' पटेल ने कहा कि ताजमहल के आसपास 500 मीटर की परिधि में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए, लेकिन किसी कब्रगाह या समाधि पर ऐसा ही नियम नहीं लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'इसका कोई तर्क नहीं कि किसी मजार या समाधि के 300 मीटर के दायरे में कोई निर्माण क्यों नहीं होना चाहिए। हम इसमें संशोधन की तैयारी कर रहे हैं। सूरत के मामले को उदाहरण के रूप में लिया जा सकता है, जहां स्मार्ट सिटी परियोजना के बीच में ब्रिटिश कब्रिस्तान रहा है।'

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के ज्यादातर धरोहरों  और स्मारकों का वर्गीकरण ब्रिटिशकाल में ही किया गया है।

ब्रिटिशकाल में किया गया ज्यादातर धरोहरों का वर्गीकरण

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'देश के ज्यादातर धरोहरों और स्मारकों का वर्गीकरण ब्रिटिशकाल में ही किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत फिलहाल 3,691 संरक्षित स्मारक घोषित हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 754 और कर्नाटक में 506 स्मारक शामिल हैं। कानून में संशोधन के लिए केंद्र सरकार जल्द ही कैबिनेट नोट ला सकती है।

100 मीटर के दायरे में निर्माण पर है रोक

प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम-1958 के अनुसार, संरक्षित स्मारकों के आसपास 100 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक है, जबकि 100-200 मीटर के दायरे में निर्माण किया जा सकता है। बीते वर्षो में इस कानून ने प्रतिबंधित क्षेत्रों के आसपास विकास कार्य को काफी बाधित किया है। सरकार ने ऐसी बाधाओं को दूर करने के लिए संसद के पिछले सत्र में नीति में संशोधन लाने का निर्णय लिया था। संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा ने उसे एक समिति के पास भेज दिया था।

Credit: Jagran




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