पिछले कई दशकों से तिरुमाला को आध्यात्मिकता के प्रतीक, पूरे देश के लिए आध्यात्मिक राजधानी के रूप में देखा गया है और आज फिर से तीर्थस्थल ने विद्वानों से बहुमूल्य सुझाव लेने के बाद देशभर में एक और आध्यात्मिक आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए कमर कस ली है.
देशभर से लगभग 57 प्रसिद्ध पुजारी और संत आज तीन दिवसीय वैदिक सम्मेलन के लिए तिरुमाला मंदिर (Tirumala
Temple) में एकत्र हुए हैं. संतों की भव्य बैठक में हिंदू सनातन धर्म (Hindu
Sanatana Dharma) के मूल्यों को बनाए रखने और धर्म के विषय पर चर्चा होगी. तिरुमाला तिरूपति देवस्थानम (टीटीडी) ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी ने कहा कि आज से शुरू होने वाले सनातन धर्मिका सदन के दौरान, पीठाधिपति (पोंटिफ) भावी पीढ़ियों के लिए सनातन धर्म के मूल्यों को बनाए रखने के लिए एक "आध्यात्मिक आंदोलन" का नेतृत्व करेंगे.
तिरुमाला के अस्ताना मंडपम में धर्मिका सदन दूरदराज और पिछड़े इलाकों में धर्मांतरण को रोकने पर भी चर्चा करेगा. अध्यक्ष ने कहा, "टीटीडी ने अतीत में दलित गोविंदम, कल्याणमस्तु और कैसिका द्वादशी जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जिससे दूरदराज के इलाकों में धार्मिक रूपांतरण को रोकने में मदद मिली है."
रेड्डी ने कहा, "विचार यह है कि हिंदू धर्म के महान महाकाव्यों, विरासत, संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों में निहित मूल्यों को जनता, विशेषकर आज की युवा पीढ़ी तक पहुंचाया जाए. हम पोप और संतों के सुझावों का स्वागत करते हैं और उनके सुझावों को लागू करने की योजना बना रहे हैं.."
अध्यक्ष ने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि वे विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा नागरिकों और विशेष रूप से युवाओं के बीच आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ाने में मदद करेंगे. उन्होंने बताया, "पिछले कई दशकों से तिरुमाला को आध्यात्मिकता के प्रतीक, पूरे देश के लिए आध्यात्मिक राजधानी के रूप में देखा गया है और आज फिर से तीर्थस्थल ने विद्वानों से बहुमूल्य सुझाव लेने के बाद देशभर में एक और आध्यात्मिक आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए कमर कस ली है. हमारे सनातन धर्म को और मजबूत करने के लिए, पुजारी और संतों के विचार बेहद मुहत्वपूर्ण हैं.
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CREDIT: - NDTV