China Ambassador to India: इसका कारण चीन के आंतरिक मामलों को बताया जा रहा है. एक राजनयिक सूत्र ने कहा कि आम धारणा चीन-भारत संबंधों की वर्तमान स्थिति से जुड़ी हुई है. लेकिन चीन की विदेश सेवा के भीतर से एक उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया में समय लग रहा है.
India-China Relations: चीन ने एक साल से ज्यादा समय से भारत में राजदूत का पद नहीं भरा है. पद खाली होने के लगभग 15 महीने बाद भी चीन ने अभी तक भारत में अपना राजदूत नियुक्त नहीं किया है. दिल्ली में आखिरी चीनी राजदूत सन वेइदोंग थे, जो तीन साल की नौकरी के बाद अक्टूबर 2022 में चले गए और वापस लौटने पर चीन के उप विदेश मंत्री बने.
जून, 2020 में गलवान की झड़प में कम से कम 20 भारतीय और चार चीनी सैनिक मारे गए थे. चीन-भारत के संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गए. दशकों पुराना सीमा विवाद, जिसके कारण 1962 में युद्ध हुआ था, पिछले तीन साल में सैनिकों की तादाद में इजाफा और आंशिक वापसी के बीच झड़पें देखी गईं. नियुक्ति में देरी इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के रिश्ते ठंडे पड़े हुए हैं.
लेकिन इसका कारण चीन के आंतरिक मामलों को बताया जा रहा है. एक राजनयिक सूत्र ने कहा कि आम धारणा चीन-भारत संबंधों की वर्तमान स्थिति से जुड़ी हुई है. लेकिन चीन की विदेश सेवा के भीतर से एक उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया में समय लग रहा है, क्योंकि दिल्ली पोस्टिंग के लिए वरिष्ठता की जरूरत होती है (जैसा कि कुछ अन्य राजधानियों में भूमिका के लिए होता है).
चीन और भारत दोनों के विदेश नीति विश्लेषक इस बात पर सहमत थे कि चीन इस बात को लेकर सतर्क रहेगा कि किसे चुना जाए, लेकिन उनके स्पष्टीकरण अलग-अलग थे. इंटरनेशनल रिलेशन्स पर बीजिंग स्थित थिंक-टैंक में इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशियन स्टडीज के निदेशक हू शिशेंग ने कहा, "यह एक उप-मंत्रालयी स्तर का काम है. यह एक अहम पद है, इसलिए उन्हें सही शख्स ढूंढने की जरूरत है. यह द्विपक्षीय स्थिति से जुड़ा नहीं है. यह एक घरेलू मुद्दा है." फिलहाल दक्षिण एशिया के किसी भी अन्य देश में चीनी राजदूत का पद खाली नहीं है.
'नौकरशाही की रैंक ज्यादा'
जबकि दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में डीन श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा, 'चीन में एक भारतीय राजदूत को संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के स्तर से चुना जा सकता है, लेकिन चीनी राजदूत का पद (भारत में) उप-मंत्रालयी स्तर का है. वर्षों पहले की तुलना में नौकरशाही रैंक आज ज्यादा है.'
भारत का बदल चुका है नजरिया
उन्होंने कहा, वरिष्ठ उम्मीदवारों की कमी नहीं है, लेकिन चीन के प्रति भारत का नजरिया बदल गया है और चीनी राजनयिकों के बीच इस पद के लिए कुछ खरीदार हो सकते हैं. उन्होंने कहा, 'गलवान की घटना और उसके बाद की कार्रवाई ने द्विपक्षीय संबंधों को संवेदनशील बना दिया है. ऐसे में नई नियुक्ति बेहद मुश्किल काम है.' एक गैर-राजनयिक सूत्र के मुताबिक, 'पिछले साल चीनी सरकार को भारत में एक नया राजदूत लगभग मिल गया था, लेकिन बाद में आंतरिक बदलावों के बीच इस विचार को छोड़ दिया गया. इस बीच किन गैंग को विदेश मंत्री के पद से और ली शांगफू को रक्षा मंत्री पद से हटा दिया गया. घरेलू व्यस्तता के कारण ऐसा लगता नहीं कि चीन जल्द भारत में एक नए राजदूत का ऐलान करेगा.
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CREDIT: - ZEE NEWS