Swarved Temple: इस मंदिर में नहीं है किसी देवी-देवता की मूर्ति, PM मोदी की भी शिखर पर टिकी नजर; खासियतें चौंकाने वाली

Payal Mishra
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100 करोड़ की लागत से तैयार स्वर्वेद महामंदिर (Swarved Mahamandir) आज से आम साधकों व श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा। स्वर्वेद महामंदिर को बनाने में छह सौ कारीगर और दो सौ मजदूर और 15 इंजीनियर की कड़ी मेहनत लगी है। मालूम हो कि इस महामंदिर को लगभग एक हजार करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर है।

Swarved Temple: इस मंदिर में नहीं है किसी देवी-देवता की मूर्ति, PM मोदी की भी शिखर पर टिकी नजर; खासियतें चौंकाने वाली
नई दिल्ली। Swarved Temple: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वाराणसी में नवनिर्मित 'स्वर्वेद महामंदिर' का उद्घाटन किया। यह भव्य स्वर्वेद महामंदिर उमराहा में स्थित है। बताया जा रहा है कि इस सात मंजिला महामंदिर को बनाने में लगभग 20 साल का समय और सैकड़ों मजदूर लगे हैं।

स्वर्वेद मंदिर के लोकार्पण के दौरान पीएम मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वहां पर मौजूद थे। लोकार्पण के बाद पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक साथ इसका भ्रमण किया। पीएम मोदी ने अपने भ्रमण के दौरान विहंगम योग में भी हिस्सा लिया।

मालूम हो कि इस महामंदिर को लगभग एक हजार करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। यह मंदिर जितना खूबसूरत है, उतना ही खास भी माना जा रहा है। आइए इस मंदिर की खासियत के बारे में बताते हैं।

Swarved Temple: इस मंदिर में नहीं है किसी देवी-देवता की मूर्ति, PM मोदी की भी शिखर पर टिकी नजर; खासियतें चौंकाने वाली


पढ़ें स्वर्वेद महामंदिर की खासियत

  • इस सात मंजिला महामंदिर में एक साथ 20 हजार लोग ध्यान (Meditation) कर सकते हैं। इस कारण स्वर्वेद महामंदिर को दुनिया का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र (Meditation Center) कहा जा रहा है।
  • इस मंदिर को बेहद खूबसूरत तरीके से डिजाइन किया गया है। इस मंदिर की गुंबद पर 125 पंखुड़ियों वाले कमल को डिजाइन किया गया है। इसके दीवारों और स्तंभ पर भी बेहद खूबसूरत कलाकृतियां की गई हैं।
  • वाराणसी शहर के केंद्र से लगभग 12 किमी दूर उमराहा क्षेत्र में स्थित यह स्वर्वेद महामंदिर 3,00,000 वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा परिपथ भी है।
  • स्वर्वेद महामंदिर की नींव 2004 में सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव और संत प्रवर विज्ञान देव ने रखी थी। इसे पूरा होने में लगभग 20 साल का समय लगा है। इस महामंदिर के निर्माण में 600 श्रमिकों और 15 इंजीनियरों के की मेहनत लगी है।
  • मंदिर में 101 फव्वारों के साथ-साथ सागौन की लकड़ी की छत और जटिल नक्काशी वाले दरवाजे हैं। यहां मकराना मार्बल लगा हुआ है, जिस पर स्वर्वेद के 3137 छंद उकेरे गए हैं।
  • मंदिर की बाहरी दीवार पर 138 प्रसंग वेद उपनिषद, महाभारत, रामायण, गीता आदि के चित्र बनाए गए हैं, जिससे लोगों को इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा पता लग सके।
  • इस मेडिटेशन सेंटर की दीवारों को गुलाबी बलुआ पत्थर की मदद से सजाया गया है और साथ ही इसके प्रांगण में औषधीय जड़ी बूटियों वाला एक सुंदर बगीचा इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है।
  • ग्राउंड फ्लोर पर सद्गुरु सदाफल महाराज के आध्यात्मिक जीवन पर आधारित प्रदर्शनी व गुफा, सत्संग हॉल बनाया गया है। सातवें तल पर आधुनिक तकनीक से युक्त दो अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बनाए गए हैं।
  • मंदिर प्रांगण में किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं है, बल्कि इसमें ब्रम्ह ज्ञान दिया जाएगा।
  • इस मंदिर का नाम एक योगी और विहंगम योग के संस्थापक सद्गुरु श्री सदाफल देवजी महाराज द्वारा लिखित एक आध्यात्मिक ग्रंथ स्वर्वेद के आधार पर रखा गया है।

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CREDIT: - JAGARAN

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