तीन गोलियां लगने के बाद भी पैदल ही अस्पताल पहुंचा फौजी पर हो गयी मौत
लखनऊ। मैनपुरी की अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रहे सेवानिवृत्त कैप्टन फतेह
सिंह को गुरुवार को पेट में तीन गोलियां मार दी गई। वह डग्गामार वाहन से
अस्पताल के गेट तक पहुंचे और फिर उसके बाद पेट दबाकर पैदल ही अस्पताल में
जाकर भर्ती हो गए। डॉक्टरों को पेट में लगी गोलियों के घाव दिखाते हुए
जल्दी इलाज करने के लिए कहा। उनका इलाज शुरू हुआ, लेकिन कुछ देर बाद ही मौत
हो गई।
हत्या के मामले में पैरवी करने जा रहे सेना के रिटायर्ड कैप्टन की बाइक
सवार हमलावरों ने दिन में ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी और फरार हो
गए। घटना को 'खून के बदले खून' की तर्ज पर अंजाम दिए जाने की बात कही जा
रही है।
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तीन गोलियां लगने के बाद भी पैदल ही अस्पताल पहुंचा फौजी पर हो गयी मौत |
मैनपुरी के बेवर क्षेत्र के गांव बझेरा निवासी दीपू की 2010 में गोली
मारकर हत्या कर दी गई थी। कल इस मुकदमे की तारीख थी। दीपू के पिता सामंत
सिंह रिश्ते के चाचा रिटायर्ड कैप्टन फतेह सिंह के साथ बाइक से दीवानी जा
रहे थे। मैनपुरी-भोगांव रोड पर मोहनपुर तिराहे के पास पीछे से दो बाइक पर
सवार आधा दर्जन हमलावरों ने रिटायर्ड कैप्टन को रोक लिया। जब तक वह कुछ
समझते, बाइक सवारों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। फतेह सिंह के पेट में तीन
गोलियां लगीं और वह वहीं गिर गए। सामंत सिंह ने किसी तरह भागकर जान बचाई।
कुछ देर बाद भोगांव की ओर से आए डग्गामार वाहन की मदद से उन्हें जिला
चिकित्सालय पहुंचाया गया। करीब आधे घंटे बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित
कर दिया। सूचना पर पुलिस अधीक्षक श्रीकांत सिंह भारी पुलिस बल के साथ जिला
अस्पताल पहुंचे और मामले की जानकारी ली। वारदात की रिपोर्ट मृतक के पुत्र
अरविंद ने दर्ज कराते हुए बताया कि घटना को गांव के मनोहर पुत्र करन सिंह व
अज्ञात साथियों ने अंजाम दिया है। पुलिस ने नामजद की तलाश में छापामार
कार्रवाई शुरू कर दी है।
युवती के साहस की प्रशंसा
गोलियां लगने के बाद सड़क पर पड़े फतेह सिंह की मदद को जब कोई आगे नहीं
आया। सड़क से गुजरने वाले वाहनों में सवार लोग देखकर भी अनदेखी कर निकल रहे
थे। इसी बीच भोगांव की ओर से आए टाटा मैजिक में सवार एक युवती ने घायल
सैनिक को देखकर वाहन रुकवाया। जैसे ही वह घायल की मदद को आगे बढ़ी, तभी
चालक ने गाड़ी को दौड़ा दिया। इस पर युवती अन्य वाहन की प्रतीक्षा करने लगी।
इसी बीच भोगांव की ओर से आए एक डग्गेमार वाहन को युवती ने किसी प्रकार
रुकवाया और घायल को अस्पताल तक पहुंचने में मदद की। युवती कौन थी, उसका
क्या नाम था, इस बात की उसने किसी को जानकारी नहीं दी।
छावनी बना गांव बझेरा
घटना के बाद गांव बझेरा में तनाव फैल गया। थोड़ी देर में गांव में भारी
संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। घटना के बाद ग्रामीण दहशत में थे।
कुछ ग्रामीणों ने बताया कि बझेरा गांव में अक्सर तनाव रहता है। यहां रंजिश
के चलते दो दशक के अंदर दर्जन से अधिक हत्याएं हो चुकी हैं।
ये है वारदात की वजह
26 जून 2005 को गांव बझेरा निवासी करन सिंह की हत्या कर दी गई थी।
इसमें कैप्टन फतेह सिंह तथा गांव के निवासी भंवर पाल व कुलदीप को नामजद
कराया गया था। इस घटना की जांच के बाद पुलिस ने तीनों अभियुक्तों के
विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी थी। कुलदीप नाबालिग था, इसलिए उसकी
पत्रावली को अलग कर दिया गया था। वर्ष 2013 में फतेह सिंह व दूसरे आरोपी
भंवर पाल को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कुछ दिन पहले ही फतेह
सिंह हाईकोर्ट से जमानत पाकर जेल से छूटे थे। पोस्टमार्टम गृह पर मौजूद
लोगों का कहना था कि इसी दिन 2005 में हुई करन सिंह की हत्या की घटना के
बदले में घटना को अंजाम दिया गया है।