एनआइए का खुलासा- पटना धमाके में निशाने पर थे मोदी
नई दिल्ली पिछले साल अक्टूबर में पटना के गांधी मैदान में हुए धमाके में आतंकियों के मुख्य निशाने पर नरेंद्र मोदी थे। धमाके के मास्टरमाइंड हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी की गिरफ्तारी के बाद एनआइए के महानिदेशक शरद कुमार ने कहा कि पटना में सिलसिलेवार विस्फोटों के पहले आतंकियों ने मोदी की चार-पांच रैलियों में रेकी की थी। हैदर अली समेत चार आतंकियों की गिरफ्तारी के साथ ही एनआइए ने पटना, बोधगया और हैदराबाद के दिलसुख नगर इलाके में हुए धमाकों का केस पूरी तरह सुलझा लेने का दावा किया है।
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पटना धमाके के चार आतंकी |
शरद कुमार ने कहा कि पटना धमाके के पहले आतंकियों ने कानपुर और दिल्ली समेत नरेंद्र मोदी की चार-पांच रैलियों में रेकी की थी। इसमें वे भीड़ के बीच किसी तरह मोदी के करीब पहुंचने का रास्ता तलाश रहे थे। लेकिन पुख्ता सुरक्षा इंतजाम होने के कारण वे इसमें नाकाम रहे। इसके बाद हैदर अली ने पटना में सिलसिलेवार विस्फोट कर भगदड़ मचाने और इस बीच मोदी तक पहुंचने की रणनीति बनाई। लेकिन इसमें भी आतंकी पूरी तरह सफल नहीं हो सके।
शरद कुमार ने कहा कि केंद्रीय और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियां पिछले तीन महीने से हैदर अली के ठिकाने की तलाश में लगी थीं। आखिरकार उसे मंगलवार को रांची में एक दूसरे आतंकी मोजिबुल्ला अंसारी को गिरफ्तार करने में सफलता मिली। उससे पूछताछ के आधार पर मंगलवार को ही आधी रात को डालटनगंज से नुमान अंसारी और एक अन्य आतंकी को गिरफ्तार किया गया। नाबालिग होने के कारण इस आतंकी का नाम नहीं बताया जा रहा है।
शरद कुमार ने कहा कि इस आतंकी की गिरफ्तारी के बाद पटना धमाके के सभी 13 आरोपियों और गया धमाके के सभी आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इनमें छह आतंकी ऐसे हैं, जो दोनों धमाकों में शामिल थे।
एनआइए के अनुसार ये सभी आतंकी सिमी से जुड़े हैं, लेकिन आइएम के साथ भी उनके घनिष्ठ रिश्ते थे। सीमा पार बैठे आकाओं के इशारे पर विस्फोट करने वाले इन आतंकियों को हवाला के माध्यम से धन मुहैया कराया जाता था। इन सबका सरगना हैदर अली बिहार और झारखंड में नए लड़कों की भर्ती की कोशिश कर रहा था। इसके साथ ही देश के बड़े नेताओं और अहम संस्थानों पर हमले की योजना बना रहा था।
शरद कुमार ने दावा किया कि हैदर अली की गिरफ्तारी के साथ ही सिमी और आइएम का पूरा आतंकी नेतृत्व ध्वस्त हो गया है। वैसे आइएम के खत्म होने की पहले भी कई बार सुरक्षा एजेंसियां दावा करती रही हैं, लेकिन समय-समय पर आतंक के निशान छोड़कर यह संगठन अपनी वापसी के संकेत भी देता रहा है। कुमार ने बताया कि बोध गया पर हमला रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार में हुए अत्याचार के विरोध में किया गया था।