'ये पब्लिक है, ये सब जानती है...', फिल्म और एल्बम के गीतों के जरिए कभी राजनीति पर तंज तो कभी जागरूकता की अपील

Payal Mishra
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26 अप्रैल को द्वितीय चरण का मतदान होने जा रहा है। बॉलीवुड का भी चुवान से काफी गरहा नाता रहा है। बॉलीवुड फिल्में ही नहीं स्वतंत्र गानों के माध्यम से भी बॉलीवुड गायक गीतकार मतदाताओं से मतदान विकसित देश के निर्माण में योगदान की अपील करते नजर आते हैं। सलाम कीजिए आली जनाब आए हैं पांच साल का देने हिसाब आए हैं।

'ये पब्लिक है, ये सब जानती है...', फिल्म और एल्बम के गीतों के जरिए कभी राजनीति पर तंज तो कभी जागरूकता की अपील


कीर्ति सिंह। शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के द्वितीय चरण का मतदान हो रहा है। बॉलीवुड गानों स्वतंत्र एल्बम में चुनाव में मतदान की अपील करते दिखते हैं गायक गीतकार, इसके साथ राजनेताओं के कामकाज पर तंज भी दिखता है। ऐसे ही कुछ लोकप्रिय गीतों की चर्चा कर रही हैं कीर्ति सिंह...

कौन सच्चा है और कौन झूठा है, पहले ये जान लो फिर अपना वोट दो, हां जी..., तपन सिन्हा निर्देशित फिल्म 'जिंदगी जिंदगी (1972)' में आनंद बख्शी का लिखा ये गाना मन्ना डे ने गाया था। इसमें वह गांव की भोली-भाली जनता से उन राजनेताओं के दावे परखने की अपील करते हैं, जो गांव में पक्की सड़क, अस्पताल और स्कूल बनवाने के सपने दिखाकर उनका वोट पाने के लिए प्रचार अभियान चलाने में जुटे हैं।


हालांकि, राजनेताओं ने उनकी अपील को अपने सियासी लाभ के लिए भी खूब इस्तेमाल किया। राजनेताओं ने अपनी छवि चमकाने के लिए सभाओं में मन्ना डे का स्वरबद्ध गीत गुनगुनायाइंसान का हो इंसान से भाईचारा, यही पैगाम हमारा...तो वहीं फिल्म 'हम' के लिए आनंद बख्शी के लिखे शीर्षक गीत हैं तैयार हम...को एक प्रमुख राष्ट्रीय दल ने अपना चुनावी स्लोगन बनाया।


मनमोहन देसाई की फिल्म 'रोटी (1974)' में भले ही चुनावी संदर्भ नहीं था, पर आनंद बख्शी जब गाना लिखते हैं  ये पब्लिक है, ये सब जानती है...तो संदेश साफ है कि राजनेता कितने ही जतन कर लें, पर जनता को वे बहला नहीं सकते।

राजनेताओं पर तंज

ऋषिकेश मुखर्जी ने जब फिल्म 'नमक हराम (1973)' बनाई तो उसमें आनंद बख्शी का लिखा असरानी और रेखा पर फिल्माया गया गाना वो झूठा है, वोट उसको देना...खूब चर्चित हुआ। किशोर कुमार ने यह गाना गाया था। बतौर लेखक-निर्देशक गुलजार भी अपनी फिल्मों के माध्यम से तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य पर बेबाक टिप्पणी करते नजर आते हैं।


कथित तौर पर इंदिरा गांधी के जीवन से प्रेरित फिल्म 'आंधी' में गुलजार के लिखे गीत के बोल हैंसलाम कीजिए आली जनाब आए हैं, पांच साल का देने हिसाब आए हैं...अंतिम पंक्ति में हां ये वोट देंगे, मगर अबके यूं नहीं देंगे, चुनाव आने दो हम आप से निपट लेंगे... इस गाने को आरडी बर्मन ने संगीत से सजाया था स्वरबद्ध किया था मोहम्मद रफी ने।


इसमें चुनाव में आम जनता के मताधिकार की ताकत को उन्होंने बयां किया, पर आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की छवि प्रभावित होने के भय से फिल्म पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया। बाद में जब आपातकाल हटा तो यह गाना काफी लोकप्रिय हुआ।

आवाज को दबाने की कोशिश

सत्येन बोस की फिल्म 'आंसू बन गए फूल' में किशोर कुमार जब गाते हैं कि इलेक्शन में मालिक के लड़के खड़े हैं... तो वे चुनाव में धनबल के इस्तेमाल पर एक प्रकार से तंज कसते हैं।


वहींराजेश खन्ना और मुमताज की सुपरहिट फिल्म 'अपना देश' में उन्होंने गाना गायासुन चंपा सुन तारा, कोई जीता कोई हारा, अरे बड़ा मजा आया, झूमें नाचें गाएं आज सारी रात, सच के गले में पड़ी माला... अपने कई फिल्मी गानों में चुटीले अंदाज में चुनाव और मतदाताओं के मिजाज की चर्चा करने वाले किशोर कुमार निजी जीवन में भी राजनीतिक विषयों पर स्वतंत्र सोच रखते थे।


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CREDIT: - DAINIK JAGRAN

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