Ram Mandir: ISRO ने साझा कीं उपग्रह से खींची राम मंदिर की तस्वीरें, जानें अंतरिक्ष से कैसा दिखता है मंदिर

Payal Mishra
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अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में महज एक दिन बचे हैं। इसरो ने उपग्रह से ली गई तस्वीरों को साझा किया। जिसमें निर्माणाधीन राम मंदिर साफ दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि यह तस्वीरें पिछले साल दिसंबर माह में ली गई थी। 

Ram Mandir: ISRO ने साझा कीं उपग्रह से खींची राम मंदिर की तस्वीरें, जानें अंतरिक्ष से कैसा दिखता है मंदिर



अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को महज एक दिन ही बचा है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोर-शोर पर हैं। देशभर के मंदिरों में इस कार्यक्रम को लेकर उत्साह है। अयोध्या स्थित मंदिरों को फूलों से सजाया गया है। इसी बीच, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंदिर से जुड़ी ऐसी तस्वीरें साझा की, जिसे आप बार-बार देखेंगे। जी हां...इसरो ने अपने स्वदेशी उपग्रहों की मदद से अंतरिक्ष से राम मंदिर की तस्वीरें खींची। 

सैटेलाइट के जरिए इसरो ने राम मंदिर की साझा की तस्वीरें
रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट से ली गई इस तस्वीर में अयोध्या स्थित 2.7 एकड़ में फैले राम जन्मभूमि स्थल को देख सकते हैं। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की इस तस्वीर को इसरो ने पिछले वर्ष 16 दिसंबर को ली थी। हालांकि उसके बाद से अयोध्या में घने कोहरे के चलते अन्य तस्वीरों को लेना कठिन हो गया था। इसरो द्वारा उपग्रह से ली गई तस्वीरों में दशरथ महल और सरयू नदी साफ दिख रही हैं, साथ ही अयोध्या के रेलवे स्टेशन भी दिखा दे रहा है। गौरतलब है कि फिलहाल अंतरिक्ष में भारत के 50 से अधिक उपग्रह हैं, जिनमें से कुछ का रिजॉल्यूशन एक मीटर से भी बहुत कम है। इन तस्वीरों को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर से क्लिक किया गया है।  

मूर्ति स्थापना के स्थान को चुनने में मददगार हुई ये तकनीक
खास बात है कि राम मंदिर निर्माण के कई चरणों में इसरो की तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है। जिसमें एक बड़ी चुनौती भगवान राम की मूर्ति स्थापना के लिए सटीक स्थान को चुनना था। लेकिन ट्रस्ट चाहता था की मूर्ति गर्भगृह के अंदर 3X6 फीट वाली जगह पर ही रखी जाए, जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। इसरो की तकनीक डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम आधारित निर्देशांक का इस्तेमाल किया गया। जिसके लिए 1-3 सेंटीमीटक तक सटीक निर्देशांक तैयार किए गए थे। जिसके जरिए मंदिर के गर्भगृह में मूर्ति की स्थापना का आधार बना। 


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CREDIT: - AMAR UJALA 

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