"श्रमिकों, मज़दूरों, छोटे किसानों के संघर्ष की सशक्त आवाज थे..." : पढ़ें कर्पूरी ठाकुर पर PM मोदी का लेख

Payal Mishra
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Karpuri Thakur Birth Anniversary: पीएम मोदी ने लिखा, "हमारी सरकार निरंतर जननायक कर्पूरी ठाकुर जी (Karpuri Thakur Birth Anniversary) से प्रेरणा लेते हुए काम कर रही है. यह हमारी नीतियों और योजनाओं में भी दिखाई देता है, जिससे देशभर में सकारात्मक बदलाव आया है."

"श्रमिकों, मज़दूरों, छोटे किसानों के संघर्ष की सशक्त आवाज थे..." : पढ़ें कर्पूरी ठाकुर पर PM मोदी का लेख

"हमारे जीवन पर कई लोगों के व्यक्तित्व का प्रभाव रहता है. जिन लोगों से हम मिलते हैं, हम जिनके संपर्क में रहते हैं, उनकी बातों का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है. लेकिन कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं, जिनके बारे में सुनकर ही आप उनसे प्रभावित हो जाते हैं. मेरे लिए ऐसे ही रहे हैं जननायक कर्पूरी ठाकुर.

आज कर्पूरी बाबू की 100वीं जन्म-जयंती है. मुझे कर्पूरी जी से कभी मिलने का अवसर तो नहीं मिला, लेकिन उनके साथ बेहद करीब से काम करने वाले कैलाशपति मिश्र जी से मैंने उनके बारे में बहुत कुछ सुना है. सामाजिक न्याय के लिए कर्पूरी बाबू ने जो प्रयास किए, उससे करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया. उनका संबंध नाई समाज, यानि समाज के अति पिछड़े वर्ग से था. अनेक चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने कई उपलब्धियों को हासिल किया और जीवनभर समाज के उत्थान के लिए काम करते रहे.

जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का पूरा जीवन सादगी और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित रहा. वे अपनी अंतिम सांस तक सरल जीवनशैली और विनम्र स्वभाव के चलते आम लोगों से गहराई से जुड़े रहे. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जो उनकी सादगी की मिसाल हैं. उनके साथ काम करने वाले लोग याद करते हैं कि कैसे वे इस बात पर जोर देते थे कि उनके किसी भी व्यक्तिगत कार्य में सरकार का एक पैसा भी इस्तेमाल ना हो. ऐसा ही एक वाकया बिहार में उनके सीएम रहने के दौरान हुआ. तब राज्य के नेताओं के लिए एक कॉलोनी बनाने का निर्णय हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने लिए कोई जमीन नहीं ली. जब भी उनसे पूछा जाता कि आप जमीन क्यों नहीं ले रहे हैं, तो वे बस विनम्रता से हाथ जोड़ लेते. 1988 में जब उनका निधन हुआ तो कई नेता श्रद्धांजलि देने उनके गांव गए. कर्पूरी जी के घर की हालत देखकर उनकी आंखों में आंसू गए कि इतने ऊंचे पद पर रहे व्यक्ति का घर इतना साधारण कैसे हो सकता है.

सामाजिक न्याय तो जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के मन में रचा-बसा था. उनके राजनीतिक जीवन को एक ऐसे समाज के निर्माण के प्रयासों के लिए जाना जाता है, जहां सभी लोगों तक संसाधनों का समान रूप से वितरण हो और सामाजिक हैसियत की परवाह किए बिना उन्हें अवसरों का लाभ मिले. उनके प्रयासों का उद्देश्य भारतीय समाज में पैठ बना चुकी कई असमानताओं  को दूर करना भी था. अपने आदर्शों के लिए कर्पूरी ठाकुर जी की प्रतिबद्धता ऐसी थी कि उस कालखंड में भी जब सब ओर कांग्रेस का राज था, उन्होंने कांग्रेस विरोधी लाइन पर चलने का फैसला किया. क्योंकि उन्हें काफी पहले ही इस बात का अंदाजा हो गया था कि कांग्रेस अपने बुनियादी सिद्धांतों से भटक गई है.

कर्पूरी ठाकुर जी की चुनावी यात्रा 1950 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में शुरू हुई और यहीं से वे राज्य के सदन में एक ताकतवर नेता के रूप में उभरे. वे श्रमिक वर्ग, मजदूर, छोटे किसानों और युवाओं के संघर्ष की सशक्त आवाज बने. शिक्षा एक ऐसा विषय था, जो कर्पूरी जी के हृदय के सबसे करीब था. उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में गरीबों को शिक्षा मुहैया कराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. वे स्थानीय भाषाओं में शिक्षा देने के बहुत बड़े पैरोकार थे, ताकि गांवों और छोटे शहरों के लोग भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और सफलता की सीढ़ियां चढ़ें.

समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने एक ठोस कार्ययोजना बनाई थी. यह सही तरीके से आगे बढ़े, इसके लिए पूरा एक तंत्र तैयार किया था. यह उनके सबसे प्रमुख योगदानों में से एक है. उन्हें उम्मीद थी कि एक एक दिन इन वर्गों को भी वो प्रतिनिधित्व और अवसर जरूर दिए जाएंगे, जिनके वे हकदार थे. हालांकि उनके इस कदम का काफी विरोध हुआ, लेकिन वे किसी भी दबाव के आगे झुके नहीं. उनके नेतृत्व में ऐसी नीतियों को लागू किया गया, जिनसे एक ऐसे समावेशी समाज की मजबूत नींव पड़ी, जहां किसी के जन्म से उसके भाग्य का निर्धारण नहीं होता हो. वे समाज के सबसे पिछड़े वर्ग से थे, लेकिन काम उन्होंने सभी वर्गों के लिए किया. उनमें किसी के प्रति रत्तीभर भी कड़वाहट नहीं थी और यही तो उन्हें महानता की श्रेणी में ले आता है.

हमारी सरकार निरंतर जननायक कर्पूरी ठाकुर जी से प्रेरणा लेते हुए काम कर रही है. यह हमारी नीतियों और योजनाओं में भी दिखाई देता है, जिससे देशभर में सकारात्मक बदलाव आया है. भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही थी कि कर्पूरी जी जैसे कुछ नेताओं को छोड़कर सामाजिक न्याय की बात बस एक राजनीतिक नारा बनकर रह गई थी. कर्पूरी जी के विजन से प्रेरित होकर हमने इसे एक प्रभावी गवर्नेंस मॉडल के रूप में लागू किया. मैं विश्वास और गर्व के साथ कह सकता हूं कि भारत के 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की उपलब्धि पर आज जननायक कर्पूरी जी जरूर गौरवान्वित होते. गरीबी से बाहर निकलने वालों में समाज के सबसे पिछड़े तबके के लोग सबसे ज्यादा हैं, जो आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित थे.

पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले एक व्यक्ति के रूप में मुझे जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिला है. मेरे जैसे अनेकों लोगों के जीवन में कर्पूरी बाबू का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान रहा है. इसके लिए मैं उनका सदैव आभारी रहूंगा. दुर्भाग्यवश, हमने कर्पूरी ठाकुर जी को 64 वर्ष की आयु में ही खो दिया. हमने उन्हें तब खोया, जब देश को उनकी सबसे अधिक जरूरत थी. आज भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले एक व्यक्ति के रूप में मुझे जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिला है. मेरे जैसे अनेकों लोगों के जीवन में कर्पूरी बाबू का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान रहा है, इसके लिए मैं उनका सदैव आभारी रहूंगा. दुर्भाग्यवश, हमने कर्पूरी ठाकुर जी को 64 वर्ष की आयु में ही खो दिया. हमने उन्हें तब खोया, जब देश को उनकी सबसे अधिक जरूरत थी. आज भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जन-कल्याण के अपने कार्यों की वजह से करोड़ों देशवासियों के दिल और दिमाग में जीवित हैं. वे एक सच्चे जननायक थे."


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CREDIT: NDTV

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