दिन में अपने आप ही सो जाते हैं यहां के लोग, सामने आई रहस्यमय सच्चाई
"कजाखस्तान में एक गांव ऐसा है, जहां लोग दिन में न चाहते हुए भी सो जाते हैं। इस बीमारी के कारण आधा गांव खाली हो गया है। अब
तक इसका कोई ठोस कारण समझ नहीं आया
है।"
दुनियाभर में कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें रात में भी नींद नहीं आती। इससे वे काफी परेशान भी रहते हैं। लेकिन कजाखस्तान में एक गांव
ऐसा है, जिसके रहवासी दिन में ही
अपने आप सोने लगते हैं। इनके जागने का हिसाब-किताब भी अजीब है। कभी दो घंटे में ही जाग जाते हैं तो कभी दो दिन भी लग जाते हैं। कजाखस्तान के इस गांव का नाम कलाची है। यहां के लोग जब दिन
में सोने के बाद जागते हैं तो इन्हें कुछ भी याद नहीं रहता। कहा जाता है कि
कई लोग जागने के बाद या तो भविष्य की बातें करने लगते हैं या फिर अपने
अतीत की। उन्हें कभी परियां दिखाई देती हैं तो कभी दीवारों पर चलते हुए
मेंढक। दिन होते ही किसी भी समय लोग
सो जाते हैं। इन्हें जगाने की चाहे कितनी भी कोशिश करो, सब व्यर्थ है। यहां
तक कि स्कूल जाने वाले अधिकतर बच्चे भी दिन के समय सो जाते हैं। यह सिलसिला मार्च, 2013 से चल रहा है।
शुरुआत में गांव की आबादी 810 थी और करीब 140 लोग इससे पीड़ित थे। लेकिन इस अजीबोगरीब बीमारी के बाद से लोग धीरे-धीरे अब गांव छोड़ रहे हैं।
तो सच क्या है?
इस गांव के लोगों को यह समस्या क्यों है, इसका पता विभिन्न स्तरों पर लगाया जा रहा है। कई बार इलाके में रेडिएशन की मात्रा को जांचा गया, लेकिन वहां इसकी कोई
समस्या नहीं निकली। डॉक्टर्स भी इसकी कोई वजह नहीं बता पाए। दरअसल, यहां सोवियत संघ के समय की कुछ ऐसी यूरेनियम माइंस है, जिनमें कार्बन मोनो
ऑक्साइड की मात्रा बहुत ही ज्यादा है। वहां से गैस के लगातार रिसाव होने के कारण यह पूरे इलाके में फैल गई। 2015 में इसकी जांच यहां के घरों में की गई, जिसमें पाया गया कि वो लोगों के घरों में संभावित मात्रा से 10 गुना अधिक है। इसे ही दिन में सोने का कारण माना जा रहा है। वैज्ञानिकों ने भी अब इस बात की पुष्टि कर दी है। यह बात 20 हजार से भी अधिक परीक्षणों के
बाद सामने आई है। यह परीक्षण गांव की जमीन, मिट्टी, हवा, जानवर, इमारतों आदि पर
किए गए हैं।