लोकसभा में हुआ सीटों का आवंटन, जानिए कौन कहां बैठेगा
जागरण ब्यूरो,
नई दिल्ली। लोकसभा में पहली कतार में प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के साथ राजनाथ सिंह, अमित
शाह, नितिन गडकरी, डीवी सदानंद गौड़ा, नरेंद्र सिंह तोमर, रविशंकर प्रसाद, स्मृति ईरानी, रमेश पोखरियाल निशंक व कई अन्य वरिष्ठ मंत्री
बैठेंगे। लंबे इंतजार के बाद बुधवार को लोकसभा में सीटों का आवंटन हो
गया।
विपक्ष में पहली कतार
में मुलायम सिंह यादव, सोनिया
गांधी, सुदीप बंदोपाध्याय और
माहताब जैसे नेता दिखाई देंगे। राहुल गांधी दूसरी कतार में साइड की अपनी पुरानी सीट पर ही नजर आएंगे।
जबकि अखिलेश यादव, फारूख अब्दुल्ला, सुप्रिया सुले, कनीमोझी भी दूसरी कतार मे ही बैठेंगे।
"विधेयकों को समीक्षा के बगैर ही पारित कराने के विपक्ष के आरोपों को राज्यसभा सभापति ने खारिज कर दिया है। विपक्ष को अंधेरे में रखकर सत्तापक्ष विधेयकों को पारित कराने में जुटी है।" |
केंद्रीय मंत्री
हर्षवर्द्धन, महेंद्रनाथ
पांडेय, गिरिराज सिंह,
गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रधानमंत्री के
पीछेवाली कतार में जगह मिली है।
झटके से उबरने में जुटे विपक्ष ने फिर उछाला प्रवर समिति का मुद्दा
विधेयकों को समीक्षा
के बगैर ही पारित कराने के विपक्ष के आरोपों को राज्यसभा सभापति ने पहले ही आंकड़ों के
साथ खारिज कर दिया है, लेकिन
विपक्ष के
सुर में कोई बदलाव नहीं है। बुधवार को विपक्ष ने राज्यसभा में इस मुद्दे को फिर उठाया।
हालांकि इस बार उन्होंने सरकार के भरोसे पर सवाल खड़ा किया है, साथ ही आरोप लगाया है कि वह विपक्ष को
अंधेरे में रखकर विधेयकों को पारित कराने में जुटी है।
विपक्ष की यह
तिलमिलाहट मंगलवार को राज्यसभा से तीन तलाक विधेयक के पारित होने के बाद सामने आयी है। राज्यसभा
में बुधवार को शून्यकाल के तुरंत बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इस
मुद्दे को उठाया और कहा कि सरकार ने विधेयकों को प्रवर समिति भेजने का जो
वादा किया था, उसे
तोड़ दिया है।
उन्होंने खुलासा किया,
कि सरकार के साथ कुल 23 विधेयकों में से छह विधेयकों को प्रवर
समिति में भेजने को लेकर सहमति बनी थी। आजाद की इस बात
का सपा नेता राम
गोपाल यादव ने भी समर्थन किया और कहा कि ऐसी सहमति बनी थी। हालांकि इन आरोपों का तत्काल सरकार की
ओर से केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने खारिज किया और कहा कि
विधेयकों को प्रवर समिति में न भेजने का आरोप पूरी गलत है।बाद में सभापति ने
मामले पर देखने का भरोसा देकर सभी को शांत किया।
विपक्षी नेताओं ने
सदन से बाहर निकलकर सरकार के रवैए पर नाखुशी जताते हुए मीडिया से बात की और कहा कि
विधेयकों को पारित कराने को लेकर सरकार अलोकतांत्रिक तरीका अपना रही है।
आनंद शर्मा ने कहा कि
सरकार के इस रवैए से उनके सांसद सदन में नहीं आ पाए। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस के
सांसद डेरेक-ओ-ब्राइन ने विधेयकों को बगैर परीक्षण के सीधे पारित कराने के
सरकार के रवैए पर कहा कि बिल पारित हो रहा है, या पिज्जा डिलिवरी हो रही है। गौरतलब है
कि तीन तलाक विधेयक पारित होते वक्त विपक्ष के लगभग 20 सांसद गैर-मौजूद थे।
Credit: Jagran
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